श्योपुर दिनांक 28/3/2025
सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के दावे तो खूब किए जाते हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर नजर आती है। ऐसा ही एक मामला श्योपुर जिले से सामने आया है, जहां एक विकलांग मजदूर पिछले दो वर्षों से सहायता पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है, लेकिन अब तक उसे किसान कल्याण योजना का लाभ नहीं मिल सका।
ग्राम अर्रोदरी, तहसील वीरपुर निवासी रामअवतार जाटव पुत्र देवलाल मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। दुर्भाग्यवश, एक दुर्घटना में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई, जिससे वह विकलांग हो गया। उसने दिल्ली, जयपुर और भोपाल में इलाज कराया, लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ।
सहायता के लिए दो साल से भटक रहा है फरियादी
रामअवतार ने 2023 से लेकर 2025 तक किसान कल्याण योजना के तहत आर्थिक सहायता के लिए कई बार आवेदन दिए, लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली। इतना ही नहीं, उसका 80 प्रतिशत विकलांगता प्रमाण पत्र भी बना हुआ है, फिर भी प्रशासन उसकी अनदेखी कर रहा है।
रामअवतार की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि शादी के छह महीने बाद ही उसकी पत्नी भी उसे छोड़कर चली गई। अब उसके पास न कोई सहारा है, न ही कोई कमाई का साधन।
विधानसभा स्पीकर ने भी लिखा पत्र, फिर भी नहीं हुई सुनवाई
रामअवतार को आर्थिक सहायता दिलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने भी श्योपुर कलेक्टर को पत्र लिखा, लेकिन यह भी बेनतीजा साबित हुआ। अब रामअवतार कलेक्ट्रेट के चक्कर काट-काटकर थक चुका है, लेकिन अधिकारी उसकी फरियाद सुनने को तैयार नहीं हैं।
फरियादी की गुहार – कब मिलेगा न्याय?
रामअवतार का कहना है, “मैं विकलांग हूं, मजदूरी भी नहीं कर सकता। कलेक्टर साहब के पास कई बार गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। मैं आखिर कहां जाऊं?”
अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं? अगर एक विकलांग व्यक्ति को न्याय पाने के लिए इतनी मशक्कत करनी पड़ रही है, तो आम गरीबों के लिए प्रशासन कितना संवेदनशील है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्या प्रशासन अब करेगा मदद?
क्या रामअवतार को अब किसान कल्याण योजना का लाभ मिलेगा? या फिर वह इसी तरह सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटता रहेगा? अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है