अखिल भारतीय गौ रक्षा महासंघ द्वारा समाज वादी राज्य सभा सांसद पर सख्त कार्रवाई की मांग अखिल भारतीय गौ रक्षा महासंघ राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह पंवार ने समाजवादी पार्टी के देश विरोधी बयान पर जो निंदनीय बीना कि तथ्यों के बयान दिया है,तथा उसी के नेताओं द्वारा समर्थन से उस पार्टी कि देश विरोधी मानसिकता अखिलेश यादव द्वारा नजर आई है ,पुर्व में भी अयोध्या जैसे मामलों में कार सेवकों पर गोलियां चलाईं थी उसी प्रकार यह सनातन रक्षक क्षत्रिय मेवाड़ नरेश के खिलाफ बयान से औरंगजेब बाबर जैसे लोगों का समर्थन किया जगजाहिर है जैसा पता है राजस्थान प्रदेश का गौरवशाली इतिहास राजपूताना का रहा है,प्रातः स्मरणीय, वीर शिरोमणि महाराणा सांगा केवल एक महान योद्धा नहीं, बल्कि साहस, स्वाभिमान और अदम्य पराक्रम के प्रतीक थे। उनकी वीरता ऐसी थी कि अनेकों घाव सहने के बावजूद उनका हौसला कभी नहीं टूटा। एक भुजा, एक आँख और एक टांग खोने के बाद भी वे युद्धभूमि में पूरी दृढ़ता से डटे रहे। उनके शरीर पर युद्ध के दौरान 80 से अधिक घावों के निशान थे, इसीलिए उन्हें “सैनिकों का भग्नावशेष” कहा जाता था।
महाराणा सांगा का चरित्र केवल वीरता तक सीमित नहीं था वे न्यायप्रिय और उदार शासक भी थे। इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने सुल्तान मोहम्मद शाह माण्डु को युद्ध में पराजित कर बंदी बनाया, लेकिन अपनी विशाल हृदयता का परिचय देते हुए उसका राज्य उसे लौटा दिया। यह उनकी नीति, नैतिकता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता था।
उन्होंने बाहरी आक्रांताओं के विरुद्ध कड़ा प्रतिरोध किया और अपनी सैन्य कुशलता से कई निर्णायक युद्ध लड़े। बाबर जैसे आक्रांता को चुनौती देने का साहस भी केवल महाराणा सांगा में था। बाबर ने अपनी आत्मकथा में भी स्वीकार किया है कि –
“राणा सांगा भारत के सबसे वीर शासक है और उन्होंने अपनी वीरता और तलवार के बल पर ये गौरव प्राप्त किया है।”
महाराणा सांगा की नेतृत्व क्षमता और पराक्रम ने उन्हें एक महान योद्धा के रूप में अमर बना दिया। खानवा के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने अपने शौर्य से आक्रांताओं की बढ़ती शक्ति को चुनौती दी। उनका लक्ष्य केवल अपने धरा की रक्षा करना नहीं था, बल्कि बाहरी आक्रमणकारियों को रोककर स्वाभिमान और स्वतंत्रता को बनाए रखना भी था।
महाराणा सांगा जी जैसे महान व्यक्तित्व पर अपमानजनक टिप्पणी करना न केवल एक वीर योद्धा का अपमान है, बल्कि इतिहास में दर्ज उनके बलिदान और साहस का भी अपमान है। ऐसे महापुरुषों की गौरवशाली गाथा आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
मैं भारत सरकार सरकार से मांग करता हूं कि राष्ट्र नायकों की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी हमारे महापुरुषों के सम्मान को ठेस पहुंचाने का दुस्साहस न कर सके