श्योपुर, 12 जुलाई 2025।
जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ (ईएनसी) विनोद कुमार देवड़ा ने डैम सेफ्टी टीम के साथ श्योपुर जिले के प्रमुख आवदा डैम का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान बांध की संरचनात्मक स्थिति का तकनीकी परीक्षण किया गया और आवश्यक मरम्मत कार्यों को लेकर विस्तृत समीक्षा की गई।
इस अवसर पर प्रभारी कलेक्टर अतेन्द्र सिंह गुर्जर, डैम सेफ्टी के डायरेक्टर पुष्पेन्द्र सिंह, अधीक्षण यंत्री चंबल एस.के. वर्मा, अधीक्षण यंत्री राजगढ़ श्री विकास राजौरिया, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग श्री चैतन्य चौहान सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।
मरम्मत के लिए 13 करोड़ रुपए का प्रस्ताव
कार्यपालन यंत्री चौहान ने बताया कि बांध में मौजूद क्रैक पुराने हैं और फिलहाल कोई गंभीर स्थिति नहीं है, लेकिन सतत निगरानी और संरचनात्मक मजबूती के लिए 13 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति प्रक्रिया जारी है। राशि स्वीकृत होने के पश्चात बांध की मरम्मत और सुदृढ़ीकरण कार्य प्रारंभ किया जाएगा। साथ ही, बांध की सतत निगरानी के लिए विशेष टीम नियुक्त की गई है।
वर्तमान स्थिति: 88.37% भराव क्षमता पार
इस वर्ष की अच्छी वर्षा के चलते आवदा डैम में जलस्तर तेजी से बढ़ा है। सावन मास में यह बांध 38 फीट से अधिक भर गया है और वर्तमान में इसमें 39 एमसीएम से अधिक पानी भरा हुआ है, जो कि बांध की कुल भराव क्षमता 45.038 एमसीएम का 88.37 प्रतिशत है। बांध की भराव क्षमता लगभग 42 फीट है।
ऐतिहासिक महत्व और तकनीकी विशेषताएं
आवदा डैम श्योपुर जिले का सबसे प्रमुख बांध है, जिसे सिंधिया स्टेट के समय वर्ष 1934 में निर्मित किया गया था। यह बांध आज भी रबी सीजन में किसानों की सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है।
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कुल क्षेत्रफल: लगभग 6 वर्ग किलोमीटर
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कैचमेंट एरिया: 233 वर्ग किलोमीटर
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पक्के बांध की लम्बाई: 1158 मीटर
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मिट्टी पाल की लम्बाई: 4497 मीटर
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सिंचाई क्षेत्र: लगभग 9000 हेक्टेयर
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लाभान्वित ग्राम: लगभग दो दर्जन गांव
पूर्व में हुए सुरक्षा उपाय
वर्ष 2023 में बांध की सुरक्षा के लिए 425 मीटर लंबी और 5 मीटर चौड़ी राफ्ट डाली गई थी ताकि सीपेज को रोका जा सके और बांध की दीवारों की मजबूती बढ़ाई जा सके।
निष्कर्ष
आवदा डैम का यह निरीक्षण एवं आगामी मरम्मत कार्य श्योपुर जिले के हजारों किसानों के लिए राहत की खबर है। बारिश के मौसम में बांध की स्थिति पर सतत निगरानी और समय पर मरम्मत से जल सुरक्षा एवं सिंचाई व्यवस्था को सशक्त बनाए रखने में मदद मिलेगी।