श्योपुर, 24 अगस्त 2024
अपर कलेक्टर डॉ अनुज कुमार रोहतगी ने सीप नदी के पंडित घाट पर एनडीआरएफ की मॉकड्रिल के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आपदा के समय एनडीआरएफ ने सदैव अपनी उपयोगिता को साबित किया है। कठिन परिस्थितियों में एनडीआरएफ के जवानो ने हजारो लोगों की जिदंगी को बचाया है। जमीन और पानी के अंदर और ऊपर, बाढ़ अथवा भंूकप की स्थिति में एनडीआरएफ के जाबांज जवानो ने अपनी जान की परवाह न करते हुए लोगों को बचाने का कार्य किया है। पूरा देश इस बात को जानता है और एनडीआरएफ देश का गौरव है। एनडीआरएफ ने विदेशो में भी आपदा के समय बचाव अभियान चलाये है।
इस अवसर पर ग्वालियर में कैम्प कर रही एनडीआरएफ की गाजियाबाद यूनिट के कंमाडेंट कुबेर शर्मा, एसडीएम मनोज गढवाल, एसडीओपी राजीव कुमार गुप्ता, डिप्टी कलेक्टर वायएस तोमर, एसएलआर मुन्ना सिंह गुर्जर, सीएमओ सतीश मटसेनिया, होमगार्ड कमांडेंट श्रीमती सुमन बिसौरिया, पुलिस आरआई अखिलेश शर्मा, एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर संजय सिंह, सब इंस्पेक्टर रमाकांत यादव, होमगार्ड प्लाटून कंमाडर राहुल शर्मा एवं प्रमोद डण्डोतिया सहित अन्य अधिकारी तथा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ श्योपुर के जवान मौजूद थे।
इस अवसर पर कमांडेंट कुबेर शर्मा ने कहा कि श्योपुर जिले में पूर्व में आई बाढ़ आपदा को दृष्टिगत रखते हुए पानी से संबंधित आपदा के संबंध में मॉकड्रिल कर प्रशिक्षिण प्रदान किया गया है। उन्होने कहा कि हमारी टीम भूंकप, पानी और अन्य परिस्थितियो में 24 घंटे कार्य करने में सक्षम है।
पंडित घाट पर आयोजित मॉकड्रिल के दौरान बाढ़ की स्थिति में अथवा गहरे पानी, दलदल वाले स्थान पर बचाव एवं राहत कार्य चलाने के लिए श्योपुर की एसडीआरएफ यूनिट को लाइव प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान ठहरे हुए गहरे पानी में किस प्रकार की रणनीति अपनानी चाहिए, इसके बारे में बताया गया, साथ ही जब बाढ़ का पानी तेजी से बढ रहा हो और वहां पर लोग फंसे हो तो तेज बहाव के पानी में से लोगों को किस प्रकार निकाला जाये आदि के बारे में डेमो कर प्रशिक्षिण दिया गया। इसके साथ ही गहरे पानी में उतरने वाली टीम के ऑक्सीजन सिलेण्डर के उपयोग तथा सेटेलाईट के माध्यम से कम्प्युनीकेश आदि के संबंध में भी प्रशिक्षित किया गया।
इंस्पेक्टर संजय सिंह एवं सब इंस्पेक्टर रमाकांत यादव ने बताया कि कभी भी पानी के भंवर में बोट नही डालना चाहिए, बल्कि भंवर से बोट को 15-20 फिट दूरी पर रखकर एंकर डालकर रखा जा सकता है तथा भंवर में फंसे व्यक्ति को निकालने के लिए रस्से फेककर रेस्क्यू किया जा सकता है। इसके अलावा रेस्क्यू टीम हमेशा लाइफ जैकेट पहनकर ही रेस्क्यू करें तथा लाइफ जैकेट को अच्छी तरह से बांध ले, पानी के फ्लो से लाइफ जैकेट खुल सकती है, इसलिए उसके सभी हुक अच्छे से लगा लिये जाये। उन्होने कहा कि लाइफ जैकेट की कैपेसिटी 72 घंटे की होती है अर्थात लाइफ जैकेट पहना व्यक्ति 72 घंटे तक डूब नही सकता।
सब इंस्पेक्टर रमाकांत यादव ने कहा कि गाजियाबाद यूनिट को तुर्किये देश में भंूकप के समय बचाव अभियान में शामिल रही है। इसी प्रकार उत्तराखण्ड में टनल हादसे के दौरान भी हमारी टीम ने जाबाजी के साथ कार्य किया। उन्होने कहा कि हम हमेशा से आपदा को चुनौती देते आये है, कोई भी परिस्थिति एनडीआरएफ का रास्ता नही रोक सकती।
मॉकड्रिल के समापन अवसर पर एसडीईआरएफ की टीम के द्वारा बचाव एवं राहत कार्यो के संबंध में प्रश्न भी पूछे गये, जिसके जवाब एनडीआरएफ की टीम द्वारा दिये गये कि किस परिस्थिति में किस प्रकार की रणनीति अपनाई जायें।
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