कराहल > दिनांक13-3-2024
जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे अचानक मौसमी मार से सबसे अधिक पीड़ित छोटे और सीमांत किसान वर्ग है। इससे निपटने के लिए जलवायु अनुकूल खेती वानिकी जरूरी है। उक्त उद्गार महात्मा गांधी सेवा आश्रम के अनिल भाई ने दुबडी में पांच गांव से आये किसानों के क्षमता विकास प्रशिक्षण में कही।प्रशिक्षण में अनिल भाई ने किसानों को स्थानीय उदाहरणों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की मूल बातें, इसके कारण, प्रभाव, और खेती तथा वानिकी पर इसके असर को समझाया और जलवायु चुनौतियों का सामना करने में स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया।
क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी बरंगवा क्षेत्र की के.एस.मिंच ने कहा कि विगत 25 सालों में भूजल स्तर में निरंतर गिरावट हो रही है और जलवायु संकट के कारण फसलें प्रभावित हो रही हैं। पानी की उपलब्धता और आवश्यक्ता के अनुसार फसल का निर्धारण किसानों को करना चाहिए। महात्मा गांधी सेवा आश्रम के कृषि विशेषज्ञ पुनित मिश्रा ने फसल विविधीकरण और परिवर्तनशीलता के मद्देनजर विविध फसल प्रणालियों के माध्यम से जोखिम को कम करने की रणनीतियों को बताया। जीवन परियोजना की कार्यकर्ता किरन सिंह ने कहा कि मिट्टी और जल प्रबंधन जरूरी है।
इसके लिए मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, जल संरक्षण, और सिंचाई प्रबंधन तकनीकों पर जोर देना होगा। अमित शर्मा ने स्थानीय संसाधनों पर आधारित जीवामृत, ब्रहमाश्त्र बनाने के बारे में जानकारी प्रदान की तथा किसानों को जैविक खाद और जैविक कीटनाशक बनाने की सीख प्रदान की। प्रशिक्षण के अंत में दुबड़ी गांव में जून के महीने में सभी परिवारों के द्वारा कोदो की फसल उगाने, स्थानीय स्तर पर जंगल को बढाने के लिए अधिक से अधिक सीडबाल बनाने का निर्णय लिया गया। ज्ञात हो कि महात्मा गांधी सेवा आश्रम द्वारा जीवन परियोजना के अंतर्गत इस प्रशिक्षण का आयोजन किसान पाठशाला दुबड़ी में किया गया। प्रशिक्षण के आयोजन में कमलेश बामनिया, दिनेश भाई, सांकरा पटेल इत्यादि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इस प्रशिक्षण में नेहरदा, नयागांव, डूंडीखेड़ा, गढला और दुबड़ी गांव के आदिवासी किसान महिला-पुरूषों ने भाग लिया