कर्ण मिश्रा, ग्वालियर दिनांक १२/7/2025
मध्य प्रदेश में भिक्षावृत्ति की बढ़ती समस्या को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट ने बड़ा रुख अपनाया है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग समेत ग्वालियर, मुरैना, भिंड, श्योपुर, शिवपुरी, दतिया, गुना, अशोकनगर और विदिशा जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी से जवाब मांगा है कि भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1973 के तहत अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
कागजों तक सीमित रह गई स्वावलंबन की योजना
याचिका दायर करने वाले एडवोकेट विश्वजीत उपाध्याय ने अदालत को बताया कि 1973 में भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम लागू किया गया था, जिसमें भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रवेश केंद्र और गरीब गृह स्थापित करने का प्रावधान था। इन केंद्रों के माध्यम से भिक्षुकों को जीवनयापन के लिए काम सिखाकर मुख्यधारा में जोड़ा जाना था। लेकिन यह योजना आज भी कागजों तक सिमटी हुई है, ज़मीनी स्तर पर कोई क्रियान्वयन नहीं हुआ।
पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप
याचिकाकर्ता ने पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून के तहत भिक्षावृत्ति रोकने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है। इंदौर और उज्जैन को छोड़कर बाकी जिलों में न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही कोई पुनर्वास केंद्र या गरीब गृह खोले गए।
हाईकोर्ट की नाराजगी, जवाब-तलब
कोर्ट ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कानून के अमल में ढिलाई पर नाराजगी जताई। साथ ही संबंधित विभागों व नौ जिलों के कलेक्टरों और एसपी से स्पष्टीकरण मांगा है कि उन्होंने अब तक इस दिशा में क्या प्रयास किए।
सरकार के पास नहीं कोई अद्यतन आंकड़ा
याचिका में 2011 की जनगणना का हवाला भी दिया गया है, जिसमें प्रदेश में 28,653 भिखारियों की मौजूदगी दर्ज की गई थी — जिनमें 17,506 पुरुष और 11,189 महिलाएं थीं। लेकिन अधिनियम लागू होने के बाद कितनों को मुख्यधारा में लाया गया, इसका कोई डेटा शासन के पास उपलब्ध नहीं है।
अब अगली सुनवाई में जवाब देंगे अफसर
हाईकोर्ट ने सभी विभागों और जिलों के अधिकारियों से तय समय सीमा में जवाब देने को कहा है। अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि क्या राज्य सरकार और प्रशासन ने इस संवेदनशील विषय को गंभीरता से लिया है या नहीं।
पुनर्वास केंद्र ओल्ड एज होम
पुनर्वास केंद्र ओल्ड एज होम जहाँ भी खुले है वहां मात्र कागजी घोड़े दोडाये जा रहे है रहने वाले १ व्यक्ति तो कागजों में 100 व्यक्ति दर्शये गए है और सब का रुपया डकार रहे है सेवा के नाम पर पुरे रुपयों की बंदर बाँट होरही है महज जाँच करता को दिखाने के लिए नसते पर बुजुर्गों को एक दिन के लिए बुलाकर संख्या दर्शाई जाती है
यह खबर समाज के उस हिस्से की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जो अक्सर उपेक्षित रह जाता है। भिक्षावृत्ति उन्मूलन के कानून और योजनाओं का यदि सही तरीके से पालन हो, तो हजारों लोगों की जिंदगी बदल सकती है।