श्योपुर, 10 जून 2025
कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अर्पित वर्मा के निर्देशन में जिले में समग्र ई-केवायसी कार्य जोरों पर चल रहा है। इसी कड़ी में शहरी विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी मिलन पटेल ने नगरपालिका परिषद श्योपुर में बैठक कर नगरीय क्षेत्र में चल रहे ई-केवायसी कार्य की समीक्षा की।
बैठक में जिन कर्मचारियों की प्रगति संतोषजनक नहीं पाई गई, उन्हें तीन दिवस में सुधार लाने के निर्देश दिए गए। वहीं, वार्ड प्रभारियों को यह भी कहा गया कि ऐसे नाम सूची से हटाए जाएं जो मृतक, पलायनकर्ता या विवाहित महिलाओं के हों।
लेकिन इसी समीक्षा प्रक्रिया में खुली एक और सच्चाई—
सूत्रों के अनुसार, यदि विवाहित महिलाओं के नाम वाकई सूची से हटाए जाते हैं, तो श्योपुर के कई आंगनवाड़ी केंद्र ‘कार्यकर्ता विहीन’ हो सकते हैं। दरअसल, लगभग 10 में से 8 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका ऐसी हैं जो शादी के बाद भी केंद्र चला रही हैं — वो भी अपने ससुराल से।
स्थानीय जानकारी के मुताबिक:
इन केंद्रों का संचालन ‘नाम मात्र’ का है। वास्तविक स्थिति यह है कि सुपरवाइजर स्वयं श्योपुर नगर में निवास करती हैं और आंगनवाड़ी केंद्रों पर प्रत्यक्ष रूप से उपस्थिति नहीं होती। कार्यकर्ताओं और सुपरवाइजर के बीच महीन समन्वय के जरिए यह ‘सिस्टम’ चलाया जा रहा है।
जानकारों का दावा है कि कार्यकर्ता को मिलने वाली ₹14,000 प्रतिमाह की तनख्वाह में से ₹2,000–₹4,000 तक की ‘बंदरबांट’ कर ली जाती है — और केंद्र कागजों में सुचारु रूप से संचालित दिखाए जाते हैं।
प्रशासन के लिए चुनौती:
वार्ड क्रमांक 14 के प्रभारी रवि गुर्जर और वार्ड क्रमांक 09 के अशोक नागर को चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय में कार्य पूर्ण नहीं हुआ, तो 7 दिन का वेतन काटा जाएगा। लेकिन इस समीक्षा प्रक्रिया ने साफ कर दिया है कि ई-केवायसी के बहाने ज़मीनी स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही की परतें भी खुलने लगी हैं।
बैठक में मुख्य नगरपालिका अधिकारी राधेरमण यादव, नोडल अधिकारी नीरज निगम, प्रभारी एचओ सत्यभानु जाटव आदि भी उपस्थित रहे।