Thursday, April 10, 2025

श्योपुर नगर पालिका परिषद की बैठक रही बेनतीजा, बहुमत न होने से कोई बिल नहीं हुआ पास

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श्योपुर, 25 मार्च 2025

नगर पालिका परिषद की आज आयोजित बैठक बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई, क्योंकि आवश्यक बहुमत पूरा नहीं हो सका। बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होनी थी और कुछ बिल पास किए जाने थे, लेकिन 9 कांग्रेस और 3 भाजपा पार्षदों की गैरमौजूदगी के कारण परिषद की बैठक निरस्त मानी गई।

बहुमत न होने से नहीं हुआ कोई फैसला

बहुमत न होने से नहीं हुआ कोई फैसला बैठक में अध्यक्ष के पास कुल 11 पार्षदों का समर्थन था, जबकि किसी भी प्रस्ताव को पास करने के लिए कम से कम 12 पार्षदों का बहुमत आवश्यक था। इस स्थिति के कारण कोई भी एजेंडा पारित नहीं हो सका, जिससे नगर विकास से जुड़े महत्वपूर्ण प्रस्ताव अधर में लटक गए।

वाचनालय और पुल दरवाजा की जमीन बेचने का विरोध

वाचनालय और पुल दरवाजा की जमीन बेचने का विरोध बैठक में शामिल नेता प्रतिपक्ष सलाउद्दीन ने नगर पालिका द्वारा शहर के प्रमुख स्थानों की बेश कीमती जमीन बेचने की संभावनाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने वाचनालय और पुल दरवाजा क्षेत्र की बेश कीमती जमीन को बेचने की संभावित योजना का विरोध किया और इसे जनहित के विरुद्ध बताया। उनका कहना था कि नगर पालिका को सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षा करनी चाहिए, न कि उन्हें निजी हाथों में सौंपने के प्रयास करने चाहिए।

नगर पालिका अधिकारी पर भ्रष्टाचार के लगाये आरोप

वहीं,नेता पार्षद पती महावीर बाल्मिक ने नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) राधा रमन पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी की कार्यशैली पारदर्शी नहीं है और नगर विकास के कार्यों में अनियमितताएं देखी जा रही हैं।

सीएमओ का तर्क – एक्ट के अनुसार किया जाएगा बिल पास

जब क्राइम नेशनल न्यूज टीम ने इस विषय पर सीएमओ से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा कि नगर पालिका परिषद के निर्णयों को एक्ट के अनुरूप ही लागू किया जाएगा। उन्होंने एक तिहाई बहुमत के आधार पर कुछ प्रस्ताव पास करने की बात कही, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या बहुमत के बिना फैसले लागू करना सही है?

लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर उठे सवाल

इस पूरी स्थिति ने नगर पालिका की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। जब जनता के प्रतिनिधि ही अपनी बात रखने और सही निर्णय लेने के लिए उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं, तो आम जनता के हितों की रक्षा कैसे होगी? क्या नगर पालिका अधिकारी को एक्ट के आधार पर फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए, जब जनप्रतिनिधि खुद इस पर सहमति न दें? यह मामला अब नगर की राजनीति में एक अहम मुद्दा बन गया है, और देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस पर क्या फैसला लिया जाता है

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