सटीक विश्लेषण अयोध्या लोकसभा * युवा चेहरा सचिदानंद पांडेय टूट गया कोई मनाने भी नही गया 8 लाख हिन्दू वोट डालने ही नही गया,भाजपा के मंडल,जिला,पन्ना प्रमुख सोते रहे
लोकसभा चुनाव में भाजपा का भगवा दुर्ग ढह गया और अयोध्या सपा की हो गई। इंडिया गठबंधन के सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को 56,934 वोटों से हराकर यहां की फैजाबाद संसदीय सीट पर कब्जा कर लिया। बसपा प्रत्याशी सच्चिदानंद पांडेय और भाकपा के अरविंद सेन यादव अपनी जमानत भी नहीं बचा सके।
लोकसभा चुनाव में फैजाबाद संसदीय सीट में शामिल पांच विधानसभा क्षेत्र अयोध्या, बीकापुर, रुदौली, मिल्कीपुर और बाराबंकी जिले के दरियाबाद में 20 मई को वोट डाले गए थे। 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। कुल 11,39,866 वोट पड़े थे। मंगलवार को सख्त सुरक्षा घेरे में सुबह आठ बजे से राजकीय इंटर कॉलेज में मतगणना शुरू हुई। पहले पोस्टल मत गिने गए। इसके बाद चक्रवार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए 14-14 टेबल पर ईवीएम खुलती गई।
फैजाबाद, जिसे अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है, उत्तर प्रदेश की एक अहम लोकसभा सीट (Lok Sabha Seat) है। इस सीट पर किसी भी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। शुरुआती दौर में कांग्रेस ने लगातार चार बार जीत दर्ज की, लेकिन उसके बाद कोई भी पार्टी लगातार दो बार से ज्यादा जीत नहीं सकी है।
इस बार बीजेपी (BJP) के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका था लेकिन वह इस मौके से चूंक गई। भाजपा के लल्लू सिंह को यहां से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (SP) के इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने यहां से जीत दर्ज की।
भाजपा-सपा के बीच सिमटा मुकाबला
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में फैजाबाद संसदीय सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी व सांसद लल्लू सिंह (Lallu Singh) व सपा के राष्ट्रीय महासचिव अवधेश प्रसाद (Awadhesh Prasad) के बीच रहा। दोनों ही बेहद अनुभवी नेता हैं। भाजपा उम्मीदवार अयोध्या विधानसभा सीट से पांच बार विधायक व दो बार सांसद रहे हैं। सपा प्रत्याशी नौवीं बार विधायक हैं। वह सात बार सोहावल व दो बार मिल्कीपुर से विधायक रहे हैं।
बसपा ने सच्चिदानंद पांडेय (Sachidanand Pandey) व सीपीआइ ने पूर्व आइपीएस अरविंदसेन यादव को उम्मीदवार घोषित किया था। बसपा व सीपीआइ के प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़े। सपा प्रत्याशी राजनीति के कुशल खिलाड़ी जरूर हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव वह पहली बार लड़े।
राममंदिर (Ram Mandir) के नाते वीआइपी श्रेणी की बनी फैजाबाद सीट
राममंदिर के नाते फैजाबाद संसदीय सीट (Faizabad Seat) वीआइपी श्रेणी की है। चार जून को इस सीट से जनता ने सपा को समर्थन दिया।
विधानसभा सीटों का गणित
फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं – दरियाबाद, रुदौली, मिल्कीपुर, बीकापुर, और अयोध्या। 2022 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 4 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की, जबकि मिल्कीपुर सीट पर सपा के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद विजयी हुए।
फैजाबाद लोकसभा सीट (Faizabad Lok Sabha Seat) से इस बार कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं। यहां कुल 19 लाख 27 हजार 759 मतदाता हैं, जिनमें नौ लाख 20 हजार 840 महिला व 10,06,919 पुरुष वोटर्स हैं। इस बार के चुनाव में कुल 59.13 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।
2019 से अधिक पड़े वोट
इस बार के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में 2019 से अधिक वोट पड़े। 2019 के चुनाव में फैजाबाद (Faizabad) में 58.67 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2024 के लोकसभा चुनाव में इस बार 59.13 प्रतिशत वोट पड़े।
2024 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर मतदान- 59.13 प्रतिशत
विधानसभावार मतदान प्रतिशत
दरियाबाद 63.56 प्रतिशत
रुदौली 58.13 प्रतिशत
मिल्कीपुर 57.31 प्रतिशत
बीकापुर 59.58 प्रतिशत
अयोध्या 56.52 प्रतिशत
फैजाबाद लोकसभा सीट मतदाता
कुल मतदाता 19, 27,759
महिला मतदाता 9, 20, 840
पुरुष मतदाता 10, 06, 919
विधानसभावार मतदाता
अयोध्या 389286
बीकापुर 391819
मिल्कीपुर 363737
रुदौली 363298
दरियाबाद 419319
फैजाबाद लोकसभा सीट से 13 प्रत्याशी मैदान में
प्रत्याशी दल
लल्लू सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
अवधेश प्रसाद समाजवादी पार्टी (सपा)
सच्चिदानंद पांडेय बहुजन समाज पार्टी (बसपा)
अरविंदसेन यादव भाकपा
अनिल कुमार रावत राष्ट्रीय जनशक्ति समाज पार्टी
अंबरीशदेव गुप्त भारत महापरिवार पार्टी
कंचन यादव मौलिक अधिकार पार्टी
बृजेंद्रदत्त त्रिपाठी आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी
अरुण कुमार निर्दलीय
जगत सिंह निर्दलीय
फरीद सलमानी निर्दलीय
लालमणि निर्दलीय
सुनील कुमार भट्ट निर्दलीय
जातीय समीकरण
फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति (SC) मतदाताओं की संख्या 4,42,274 है, जो कुल मतदाताओं का 24.3% है। अनुसूचित जनजाति (ST) वोटर्स की संख्या 1,820 है, जो 0.1% हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 16.37% है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा पिछड़ी जातियों के मतदाता हैं, जिनमें यादव वोटर्स की संख्या करीब 13% है। सवर्ण वोटर्स की संख्या 29% है।
फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास
फैजाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव 1957 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से इस सीट पर कई उतार-चढ़ाव आए हैं। कांग्रेस ने यहां सबसे ज्यादा 7 बार जीत हासिल की है, जबकि बीजेपी को 4 बार सफलता मिली है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय लोकदल को एक-एक बार जीत मिली है।
भाजपा और विक्षपी गंठबंधन के उम्मीदवार के बीच टक्कर
रामनगरी में भाजपा और विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली। भाजपा के लल्लू सिंह (Lallu Singh) और इंडी गठबंधन के अवधेश प्रसाद आमने-सामने बने रहे। दिग्गज नेता रहे दिवंगत मित्रसेन यादव के पुत्र अरविंदसेन यादव और बसपा प्रत्याशी सच्चिदानंद पांडेय मुख्य मुकाबले से बाहर नजर आए।
पिछले चुनाव में भाजपा को 65 हजार मतों से जीत मिली थी। अगर इस चुनाव में लल्लू सिंह जीतते तो वह इस क्षेत्र से लगातार तीसरी बार सांसद होने वाले पहले नेता होते। इस सीट पर जीत के साथ ही अवधेश प्रसाद (Awadhesh Prasad) पहली बार सांसद बने और यह सपा के दूसरे सांसद हैं।
पांच बार अयोध्या के विधायक रहे हैं भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह
वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा ने दो लाख 81 हजार से अधिक मतों से जीत प्राप्त की थी। 2019 के चुनाव में भाजपा के लल्लू सिंह (Lallu Singh) के मत तो बढ़े, लेकिन जीत का अंतर घट गया। भाजपा उम्मीदवार व सांसद लल्लू सिंह लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav) में पांचवीं बार बीजेपी का चेहरा हैं। वह पांच बार अयोध्या (Ayodhya) से विधायक भी रहे हैं। वर्ष 1954 में जन्मे लल्लू सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बाल स्वयंसेवक हैं।
भाजपा के मत प्रतिशत में गिरावट
पिछले चुनाव की तुलना में भाजपा के मत प्रतिशत में इस बार 5.32 फीसदी की गिरावट आई। सपा के मत प्रतिशत में 6.10 फीसदी की वृद्धि हुई। अवधेश को 48.73 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 5,47,173 और लल्लू को 43.68 फीसदी वोट शेयर के साथ 4,90,405 मत मिले। बसपा प्रत्याशी सच्चिदानंद को 4.06 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 45,571 वोट मिले। वे अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। यही स्थिति भाकपा के अरविंद सेन के साथ रही। उन्हें 1.35 फीसदी वोट शेयर के साथ 15,202 मत मिले। जमानत बचाने के लिए मतदान का 1/6 वोट पाना अनिवार्य होता है। इस लिहाज से अन्य नौ उम्मीदवारों की भी जमानत जब्त हो गई। जिला निर्वाचन अधिकारी नितीश कुमार ने बताया कि मतगणना शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो गई।
सच्चिदानंद पांडे ने अपना राजनीतिक सफर साल 2012 में बतौर भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में शुरू किया था. इस दौरान वह विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े रहे. भाजपा की तिरंगा यात्रा और भारत स्वाभिमान यात्रा में भी उनकी सक्रिय भागीदारी रही. वहीं मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान विदिशा विधानसभा सीट पर भी इन्होंने भाजपा के लिए काम किया.
यहां तक कि पांडे ने श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समय अंबेडकर नगर समेत अवध क्षेत्र के कई जिलों में भी राम संस्कृत भजन संध्या के माध्यम से राम नाम संकीर्तन करवाया. यही नहीं केंद्र सरकार द्वारा जब कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा हुई, तब भी सच्चिदानंद पांडे ने भाजपा के इस कदम का स्वागत करते हुए अंबेडकर नगर जनपद में लगभग 15000 हार्डिंग लगवाए थे.
जानें कौन हैं अयोध्या में भाजपा को हराने वाले अवधेश प्रसाद, सपा का दलित चेहरा, मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे
अयोध्या में इसी साल जनवरी महीने में भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भी इस सीट पर भाजपा का हार जाना चर्चा का विषय रहा है। भाजपा ने राम मंदिर को सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया लेकिन इसके बावजूद इस सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद जीत गए।
सबसे ज्यादा चर्चा अयोध्या में भाजपा की हार की हो रही है सांसद लल्लू सिंह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद से 54567 मतों के अंतर से पराजित हो गयेअवधेश प्रसाद को सपा के दलित चेहरे के रूप में देखा जाता है
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को सबसे ज्यादा झटका उत्तर प्रदेश में लगा है। इसमें भी सबसे ज्यादा चर्चा अयोध्या में भाजपा की हार की हो रही है। अयोध्या स्थित फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार और सांसद लल्लू सिंह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद से 54567 मतों के अंतर से पराजित हो गये। निर्वाचन आयोग के अनुसार फैजाबाद (अयोध्या) संसदीय सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद को 5,54,289 मत मिले, जबकि लल्लू सिंह को 4,99,722 मिले।
अयोध्या में इसी साल जनवरी महीने में भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भी इस सीट पर भाजपा का हार जाना चर्चा का विषय रहा है। भाजपा ने राम मंदिर को सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया लेकिन इसके बावजूद इस सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद जीत गए। ऐसे में लोगों में ये जानने की उत्सुकता है कि आखिर अवधेश प्रसाद हैं कौन।
सपा का दलित चेहरा
प्रतिष्ठा की लड़ाई में भाजपा से सीट छीनने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अनुभवी विधायक अवधेश प्रसाद गैर-आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले दलित समुदाय के एकमात्र उम्मीदवार हैं। प्रसाद ने फैजाबाद में दलित वोटों के दम पर भाजपा के दो बार के मौजूदा सांसद लल्लू सिंह को 54,567 वोटों से हराया। अवधेश प्रसाद को सपा के दलित चेहरे के रूप में देखा जाता है। 77 वर्षीय अवधेश प्रसाद पासी समुदाय से हैं। वह सपा के संस्थापक सदस्यों में से हैं और 1974 से लगातार पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साथ रहे हैं। वह नौ बार विधायक रहे हैं और अब पहली बार सांसद बने हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक प्रसाद ने 21 साल की उम्र में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। वह पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाले भारतीय क्रांति दल में शामिल हुए। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव अयोध्या के सोहावल से 1974 में लड़ा। आपातकाल के दौरान प्रसाद ने आपातकाल विरोधी संघर्ष समिति के फैजाबाद जिले के सह-संयोजक के रूप में कार्य किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में रहते हुए, उनकी माँ का निधन हो गया और वह उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल पाने में असफल रहे।
1992 में जब मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी बनाई तब अवधेश प्रसाद ने भी उनका साथ दिया। प्रसाद को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और इसके केंद्रीय संसदीय बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया। बाद में उन्हें सपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। संसदीय चुनाव उन्होंने पहली बार जीता है। इससे पहले 1996 में अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से एक बार वह हार चुके हैं।
प्रसाद को विधानसभा चुनावों में अब तक नौ चुनावों में केवल दो बार हार मिली। 2017 में भी वह मिल्कीपुर से एसपी उम्मीदवार के रूप में हार गए थे। अब एसपी के दलित चेहरे अवधेश प्रसाद को और अधिक प्रसिद्धि मिल सकती है