Sunday, June 8, 2025

श्योपुर में बड़ा प्रशासनिक फैसला – 127 बीघा भूमि शासकीय घोषित, 15 लोगों के पट्टे निरस्त

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श्योपुर | 17 अप्रैल 2025

जिला प्रशासन ने श्योपुर के ग्राम पटारी में अवैध रूप से किए गए भूमिव्यवस्थापन के मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए 127 बीघा भूमि को शासकीय दर्ज करने का आदेश पारित किया है। यह फैसला अपर कलेक्टर अतेन्द्र सिंह गुर्जर की न्यायालय द्वारा सुनाया गया।

🧾 जांच में उजागर हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा
प्राप्त जानकारी के अनुसार, तहसीलदार कराहल द्वारा वर्ष 2002 में पास किए गए एक व्यवस्थापन आदेश की जांच में भारी अनियमितताएं पाई गईं।

डिप्टी कलेक्टर एवं अभिलेख जांच शाखा प्रभारी की रिपोर्ट के आधार पर सामने आया कि ग्राम पटारी की शासकीय भूमि को कूटरचित दस्तावेजों के ज़रिए 15 व्यक्तियों के नाम पट्टों में दर्ज कर दिया गया था।

जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि –
 कुछ आवेदनों में सर्वे नंबर और भूमि रकबा अलग-अलग दर्शाया गया है।
 आवेदनों में भूमि पर कब्जे की तिथि और उम्र में विसंगति मिली।
 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर और पीठासीन अधिकारी के सिग्नेचर में मेल नहीं है।
 कई आवेदकों द्वारा भूमिहीनता या ग्राम निवासी होने का प्रमाण भी नहीं दिया गया।

📜 फर्जीवाड़ा प्रमाणित – आदेश निरस्त
इन तमाम अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए 21 नवम्बर 2002 को पारित मूल आदेश को निरस्त कर दिया गया। न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि सभी संबंधित सर्वे नंबर की भूमि शासकीय नाम पर दर्ज की जाए, और तहसीलदार कराहल को आदेश का तत्काल अमल करने को कहा गया है।

जिन व्यक्तियों के पट्टे निरस्त हुए
गिर्राज, विजय, परसराम, अशोक, रवि, भूपेन्द्र, प्रताप, रामदुलारी, विशाल, नीतू, सुरेन्द्र, रेखा, लायक सिंह, भागीरथ और रामनाथ — सभी ग्राम पटारी, मोरावन व सेसईपुरा से संबंधित हैं।


🛑 यह फैसला जिला प्रशासन की ओर से फर्जी व्यवस्थापन पर की गई बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है पूरा मामला देखिये सरकारी नजर से 
न्यायालय अपर कलेक्टर द्वारा कूटरचित तरीके से स्वीकार किये गये व्यवस्थापन के मामलों में 15 लोगों की 124 बीघा भूमि को शासकीय दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया है।
न्यायालय अपर कलेक्टर अतेन्द्र सिंह गुर्जर द्वारा पारित आदेश के अनुसार निगरानी के प्रकरण में डिप्टी कलेक्टर एवं प्रभारी अधिकारी अभिलेख जांच शाखा श्योपुर द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार जिला अभिलेखागार में उपलब्ध प्रकरण क्रमांक 0004/2002-03/अ-19 ग्राम पटारी का परिशीलन किया गया, उक्त कूटरचित प्रकरण तहसीलदार कराहल का होकर प्रकरण से ग्राम पटारी की शासकीय भूमि पर अवैधानिक तरीके से अभिलेख में छेडछाड कर अनावेदकगणो के नाम व्यवस्थापन पट्टे स्वीकृत किये गये। उक्त प्रकरण में न्यायालय तहसीलदार कराहल द्वारा पारित आदेश दिनांक 21 नवंबर 2002 कूटरचित सिद्ध होने से आदेश को निरस्त कर 15 लोगों के नाम अंकित सर्वे नंबर की भूमि को शासकीय दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया है तथा तहसीलदार कराहल को आदेश का अमल करने के निर्देश दिये गये है।
प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि व्यवस्थापन का प्रकरण कूटरचित तरीके से तैयार कर निजी व्यक्तियों को लाभ दिया गया है, उक्त प्रकरण क्रमांक में प्रथम आदेश पत्रिका 21 नवंबर 2002 पर कुछ सर्वे क्रमांक व रकबा हिन्दी में तो कुछ अंग्रेजी गिनती में अंकित है। इसके साथ ही व्यवस्थापन हेतु प्रस्तुत आवेदनो में सर्वे क्रमांक और रकबे में भिन्नता पाई गई है, इसके साथ ही कुछ आवेदको का भूमि पर कब्जा होने की तिथि और आयु में भी विसगति है, इसके साथ ही आवेदन पत्र एवं आदेश पत्रिका पर अनावेदको के हस्ताक्षर एवं पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर में भी भिन्नता है, जिन व्यक्तियो के नाम व्यवस्थापन स्वीकार किये गये है, वे व्यक्ति ग्राम के निवासी होने, भूमिहीन होने संबंधी दस्तावेज प्रकरण में संलग्न नही है।
जिन लोगों के व्यवस्थापन निरस्त किये गये है, उनमें गिर्राज पुत्र जगदीश जाति ब्रम्हाण निवासी मोरावन, विजय पुत्र रमेश जाति ब्रम्हाण निवासी सेसईपुरा, परसराम पुत्र गोविन्द जाति ब्रम्हाण, अशोक पुत्र रामभरोसी जाति ब्रम्हाण, रवि पुत्र हरकिशोर जाति ब्रम्हाण, भूपेन्द्र पुत्र मान सिंह गुर्जर, प्रताप पुत्र मान सिंह गुर्जर, रामदुलारी पत्नि मान सिंह गुर्जर, विशाल पुत्र रविन्द्र, नीतू पत्नि प्रताप, सुरेन्द्र पुत्र मान सिंह गुर्जर, रेखा पत्नि भूपेन्द्र, लायक सिंह पुत्र प्रीतम गुर्जर, भागीरथ गुर्जर पुत्र प्रीतम गुर्जर एवं रामनाथ पुत्र प्रीतम गुर्जर निवासी पटारी के नाम शामिल है।

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