श्योपुर, 23 मार्च 2025
कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेटअर्पित वर्मा ने श्योपुर जिले के किसानों से अपील की है कि खेतो में नरवाई न जलाएं। नरवाई जलाने से हानिकारक प्रभाव होते है तथा कभी-कभी आग लगने की बडी घटनाएं भी हो जाती है, जो कई प्रकार से हानिकारण हो सकती है। इसलिए गेहूं की कटाई के समय कंबाई हॉर्वेस्टर में स्ट्रारीपर अथवा स्ट्रॉ मैनेजमेंट का उपयोग करते हुए कटाई कराई जाये, इससे पशुचारे के लिए भूसा प्राप्त होगा और किसानों को अतिरिक्त आय भी मिलेगी।
कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अर्पित वर्मा ने कहा कि रबी सीजन में गेहूं, सरसो, चना आदि फसलों की कटाई के पश्चात किसान फसल के अवशेष या नरवाई उपयोग न करके जलाकर नष्ट कर देते हैं । इससे मृदा में उपस्थित लाभप्रद सूक्ष्म जीवाणु एवं केंचुए नष्ट हो जाते हैं। जिससे खेत में जीवाणु पदार्थ की मात्रा कम होने से मृदा में कठोरता बढ़ रही है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। नरवाई जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ-साथ मिट्टी में कार्बन की मात्रा कम हो जाती है और वातावरण प्रदूषण समस्या बड़ रही है। साथ ही मृदा में नाइट्रोजन फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। आग लगने से कई बार घरों एवं गांव में आग लगने की संभावना बनी रहती है एवं खेतों की मेड़ों पर लगे पेड़-पौधों आदि को नुकसान पहुंचता है।
नरवाई न जलाने से लाभ
मिट्टी में कार्बनिक मात्रा बनी रहने से मिट्टी में भुरभुरापन बना रहता है। भूमि में उपस्थित केंचुओं की संख्या एवं लाभप्रद सूक्ष्म जीवों की संख्या में बढ़ोतरी होती रहती है। पशुओं के लिए चारे की समस्या नहीं रहती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट नहीं होती है। मिट्टी के जल धारण क्षमता अच्छी बनी रहती है एवं मिट्टी का पीएच मान में भी सुधार होता है।
नरवाई का सही उपयोग करने के तरीके
रोटावेटर मशीन द्वारा खेत को तैयार करते समय फसल अवशेष को बारीक टुकड़ों में काटकर मिट्टी में मिला दिया जाता है। इस प्रकार खेत में फसल अवशेष सड़ना प्रारंभ कर देते हैं तथा लगभग एक माह में आगे बोई जाने वाली फसल को पोषक तत्व दान करते हैं।
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