Saturday, June 7, 2025

ग्राम जैदा की 5 बीघा भूमि शासकीय घोषित न्यायालय ने ब्रह्मानंद मीणा के नाम की प्रविष्टि को पाया अवैध

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श्योपुर, 25 अप्रैल 2025
जिले के ग्राम जैदा की लगभग 5 बीघा भूमि को लेकर चले लंबे विवाद में बड़ा फैसला आया है। अपर कलेक्टर अतेन्द्र सिंह गुर्जर की अदालत ने अनावेदक ब्रह्मानंद मीणा के नाम दर्ज भूमि प्रविष्टि को अवैध करार देते हुए उसका नाम विलोपित कर भूमि को शासकीय दर्ज करने का आदेश पारित किया है।

प्राप्त जानकारी अनुसार, ग्राम जैदा की सर्वे क्रमांक 31/14, रकबा 1.045 हेक्टेयर भूमि पर ब्रह्मानंद मीणा का नाम दर्ज था, जिसे अवैध मानते हुए निरस्त किया गया है। आदेश में कहा गया है कि अनावेदक ना तो भूमिहीन की श्रेणी में आते हैं और ना ही उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज विश्वसनीय पाए गए।

तहसीलदार श्योपुर के वर्ष 1993-94 के दायरा पंजी में दर्ज व्यवस्थापन प्रविष्टियों की गहन जांच में सामने आया कि ब्रह्मानंद मीणा द्वारा प्रस्तुत प्रकरण क्रमांक 26/93-94/ए-19 में ग्राम जैदा का कोई उल्लेख नहीं है। इसके अलावा प्रस्तुत खसरा प्रतियों में पर्ची चिपकाकर जानकारी जोड़ने का संदेह भी सामने आया।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आदेश दिनांक 6 जनवरी 1994 के दस्तावेज उस प्रकरण क्रमांक से जुड़े हैं जो वास्तव में 2 मार्च 1994 को दर्ज हुआ था, जिससे यह प्रविष्टि पूरी तरह संदेहास्पद और अनियमित मानी गई।

इन तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि भूमि पर किया गया नामांतरण अवैध है और भूमि को शासकीय खाते में दर्ज किया जाए। इस फैसले से शासकीय भूमि की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की सतर्कता भी सामने आई है।

अधिकारिक ब्यौरा क्या कहता है देखिये 
श्योपुर, 25 अप्रैल 2025
न्यायालय अपर कलेक्टर द्वारा अनावेदक ब्रम्हानंद मीणा निवासी जैदा के नाम ग्राम जैदा की भूमि सर्वे क्रमांक 31/14 रकबा 1.045 हेक्टयर लगभग 5 बीघा भूमि पर अनावेदक के नाम की अवैध प्रविष्टि पाये जाने एवं अनावेदक के भूमिहीन श्रेणी में नही होने से नाम विलोपित कर भूमि शासकीय दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया है।
न्यायालय अपर कलेक्टर श्री अतेन्द्र सिंह गुर्जर द्वारा पारित आदेश के अनुसार ग्राम जैदा की प्रश्नाधीन भूमि सर्वे क्रमांक 31/14 पर तहसीलदार श्योपुर के प्रकरण क्रमांक 27/93-94/ए-19 से अनावेदक का व्यवस्थापन स्वीकार हुआ। ततसंबंध में आवेदक द्वारा न्यायालय तहसीलदार श्योपुर की शीर्ष ए-19 वर्ष 1993-94 की प्रमाणित छायाप्रति प्रस्तुत की गई, जिसमें क्रमांक 26 पर बाबू पुत्र भैरू माली एवं क्रमांक 27 पर ब्रम्हानंद पुत्र मोहन मीणा के नाम सर्वे क्रमांक 31 में से 5-5 बीघा पर व्यवस्थापन की प्रविष्टि दर्ज है, किन्तु इस दायरा पंजी के क्रमांक 26 एवं 27 पर ग्राम जैदा का प्रकरण दर्ज न होकर अन्य ग्राम का प्रकरण दर्ज है। इसके अतिरिक्त अनावेदक द्वारा लिखित बहस के साथ प्रस्तुत ग्राम जैदा की भूमि सर्वे क्रमांक 31/14 के खसरा पंचशाला संवत 2046-2050 की प्रमाणित प्रति को अवलोकन एवं परीक्षण से पाया गया है कि उक्त खसरा में पर्ची चिपका कर ग्राम जैदा की भूमि सर्वे क्रमांक 31 मिन रकबा 1.045 हेक्टयर पर तहसीलदार प्रकरण क्रमांक 26/93-94/ए-19 आदेश दिनांक 6.1.1994 में से ब्रम्हानंद पुत्र मोहन मीणा निवासी ग्राम को भूमि स्वामी पर व्यवस्थापन स्वीकृत अंकित है, जबकि दायरा पंजी अनुसार प्रकरण क्रमांक 26 दिनांक 2 मार्च 1994 को दर्ज किया है, ऐसी स्थिति में प्रकरण दर्ज होने के दिनांक 2 मार्च 1994 से पूर्व आदेश दिनांक 6 जनवरी 1994 में से अनावेदक के नाम व्यवस्थापन स्वीकार किये जाने का आदेश पूर्णतः संदेहास्पर्ध है, प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजो के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि खसरा संवत 2046-50 में पर्ची लगाकर प्रकरण क्रमांक 26/ए-19/93-94 आदेश दिनांक 6 जनवरी 1994 में से अनावेदक के नाम व्यवस्थापन स्वीकार अंकित किया गया, जबकि अनावेदक द्वारा प्रस्तुत दायरा पंजी की प्रति में क्रमांक 26 पर न तो ग्राम जैदा का प्रकरण दर्ज है, न क्रमांक 27 पर। अतः अनावेदक ब्रम्हानंद पुत्र मोहन मीणा के नाम ग्राम जैदा की भूमि सर्वे क्रमांक 31/14 रकबा 1.045 हेक्टयर पर अनावेदक के नाम की प्रविष्टि अवैध पाये जाने तथा अनावेदक भूमिहीन श्रेणी में नही होने से नाम विलोपित कर भूमि शासकीय दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया है।

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